Rajma ki Kheti: राजमा पूरे भारत में खाई जाने वाली एक सब्जी में से एक है जो की दलहन की श्रेणी में आता है| इसके अंदर बहुत ही ज्यादा पोषक तत्व पाए जाते हैं| राजमा प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत है इसके सेवन से कई सारे फायदे होते हैं| लोग अपनी सेहत को अच्छी रखने के लिए इसका सेवन करते हैं| इसकी खेती अधिक क्षेत्र में की जाती है| यदि किसान भाई राजमा की खेती करके अच्छा पैसा कमाना चाहते हैं यह अर्टिकल उनकी हेल्प करेगा|
इस आर्टिकल के माध्यम से वे जान सकते हैं कि राजमा की खेती कैसे करें? राजमा की खेती किस समय करना चाहिए? राजमा की खेती में कौन सी खाद डालना चाहिए हैं तथा राजमा की खेती के लिए राजमा की बेस्ट वैरायटी कौन सी है? तो चलिए जानते हैं राजमा की खेती से संबंधित सभी प्रकार की जानकारी विस्तृत रूप से|
राजमा की खेती कब और कैसे करें?(Rajma ki Kheti aur kaise karen)
भारत में राजमा की खेती उत्तर भारत के राज्य में ज्यादातर की जाती है| इसके अलावा इसकी खेती महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश में भी इसकी खेती अधिक क्षेत्रों में की जाती है| किसान भाई इसकी खेती करके कम समय में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं| बाजार में इसकी डिमांड हमेशा बना रहता है इस कारण इसका रेट भी अच्छा मिलता है जिससे किसान इसकी खेती करके अच्छा लाभ कमा सकते हैं| राजमा की खेती से संबंधित सभी प्रकार की जानकारी नीचे दी जा रही है| जिसे पढ़कर आप राजमा की खेती की शुरुआत कर सकते हैं|
राजमा की खेती के लिए सही जलवायु और मौसम
राजमा की खेती के लिए अच्छी जलवायु और मौसम का होना उपज को बढ़ाती है| मुख्य रूप से खरीफ और रवि दोनों सीजन में इसकी खेती की जाती है| इसकी बुवाई के लिए सबसे अच्छा तापमान 15 डिग्री सेंटीग्रेड से लेकर 25 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच अच्छा होता है| यदि आप इसकी खेती खरीफ के सीजन में करते हैं तो आपको रेट अच्छा मिलता है और आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं|
राजमा की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
राजमा की खेती के लिए अच्छी मिट्टी का होना बहुत जरूरी है| राजमा की खेती के लिए हल्की दोमट मिट्टी तथा बलुई दोमट सबसे अच्छी मानी जाती है| इन दोनों प्रकार की मिट्टी में आप राजमा की खेती से अच्छे से कर सकते हैं और इसकी पैदावार भी इस मिट्टी में अच्छी होती हैं|
इसके अलावा आपको राजमा की खेती के लिए मिट्टी का चुनाव करते समय यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि खेत में पानी की निकास की व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए क्योंकि अगर खेत में पानी रुकेगा तो राजमा की फसल खराब हो सकती है| इसलिए ऐसे मिट्टी का चुनाव करें जहां से पानी निकालने की व्यवस्था अच्छी है| इसकी बेहतर खेती के लिए भूमि का पीएच मान 5.5 होना सबसे अच्छा होता|
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राजमा की बुवाई का समय(Rajma kheti ka Samay)
पूरे भारत में राजमा की बुवाई अलग-अलग के समय पर की जाती है| मुख्य रूप से यूपी और बिहार में इसकी बुवाई नवंबर के पहले इस सप्ताह में की जाती है| वहीं महाराष्ट्र में इसकी बुवाई अक्टूबर के महीने में की जाती है| इसके अलावा पंजाब और हरियाणा में इसकी बुवाई अक्टूबर के पहले सप्ताह में की जाती है| यदि बात करें बसंत ऋतु में इसकी बुवाई की तो इसकी बुवाई फरवरी और मार्च की पहले सप्ताह में की जय है| आप अपनी सुविधा के अनुसार कभी भी इसकी खेती कर सकते हैं|
राजमा की खेती कैसे करे?(Rajma ki Kheti kaise karen) खेत की तैयारी से लेकर बीज की उन्नत किस्मों की पूरी जानकारी
राजमा के खेत की तैयारी
राजमा की बुवाई से पहले खेत की तैयारी करना बहुत ही जरूरी है जिसके लिए आपको सबसे पहले मिट्टी भूमि की दो से तीन बार अच्छे से जूताई कर लेना चाहिए| जुताई के लिए आप कल्टीवेटर या फिर रोटावेटर का उपयोग कर सकते हैं जिससे की मिट्टी भुरभुरी हो जाती है| इसके बाद से आप उस खेत में पाटा लगाकर उसे समतल कर लें| समतल करने के बाद आप खेत में गोबर की सड़ी हुई खाद 8 से 10 टन प्रति एकड़ के हिसाब से खेतों में डाल सकते हैं|
चाहे तो आप इसके साथ वर्मी कंपोस्ट भी मिला सकते हैं जिससे जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती हैं| इसके बाद से आप जुताई कर ले और फिर इसमे पाटा लगाकर समतल कर लें| इस प्रकार राजमा की बुवाई के लिए खेत की तैयारी हो जाती है|
राजमा के बीच कहां से खरीद
राजमा की बीज आप ऑनलाइन खरीद सकते हैं या फिर आप अपने नजदीकी कृषि केंद्र के पास जाकर खरीद सकते हैं| बीज खरीदते समय यह ध्यान रहे आप जो भी बीच खरीदें वह अच्छी वैरायटी की खरीदें|
राजमा की उन्नत वैरायटी(Rajma ki Top Variety )
राजमा की उन्नत खेती करने के लिए आपको अच्छी वैरायटी की बीज खरीदना बहुत जरूरी होता है नहीं तो राजमा का पैदावार बहुत ही कम हो जाएगा| इसलिए आप राजमा की अच्छी वैरायटी खरीदें जिससे उत्पादन अच्छा हो| राजमा की कुछ अच्छी वैरायटी की जानकारी नीचे दी गई है इससे आप अपने खेतों में बुवाई कर सकते हैं|
मालवीय-15 : राजमा की इस प्रजाति के बीज सफेद रंग का होता है तथा यह 115 दिन से लेकर 120 दिन के अंदर पककर तैयार हो जाता है| यदि बात करें इसके उपज की तो इसकी उत्पादन 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से होती है|
मालवीय-137: राजमा की की यह प्रजाति खेतों में लगाने के लिए बहुत अच्छी है जो की 110 से लेकर 115 दिन के भीतर पककर तैयार हो जाती हैं| यदि बात करें इसके उत्पादन की तो इसकी प्रति हेक्टेयर उत्पादन 25 से 30 क्विंटल के बीच होती है|
उत्कर्ष : राजमा की यह प्रजाति भी खेत में लगाने के लिए अच्छी है जो की चित्तीदार रंग का होता है और यह 130 से 135 दिनों के भीतर पककर तैयार हो जाता है| इसके बाद आप इसकी कटाई कर सकते हैं| यदि बात करें इसकी उत्पादन की तो इसका उत्पादन प्रति हेक्टेयर 20 से 25 क्विंटल के बीच होता है|
वीएल-63 : राजमा की इस प्रजाति का रंग भूरा चित्तीदार होता है तथा यह 115 से लेकर 120 दिन के भीतर पक कर तैयार हो जाता है जिसके बाद आप इसकी कटाई कर सकते हैं| यदि बात करें VL-63 के उत्पादन की तो इसका उत्पादन प्रति हेक्टेयर 25 से 30 क्विंटल के आसपास हो जाता है|
राजमा की बुवाई के लिए बीज की मात्रा
राजमा की बुवाई के लिए मुख्य रूप से एक हेक्टेयर खेत में 100 से 125 किलोग्राम बीच की आवश्यकता होती है| यदि आप एक एकड़ खेत में राजमा की खेती कर रहे हैं तो आपको 25 से 30 किलोग्राम बीज की जरूरत पड़ेगी|
राजमा के बीजों का उपचार
राजमा की बुवाई से पहले राजमा के बीजों को उपचारित करना बहुत ही जरूरी होता है जिससे कि अंकुरण अच्छा होता है और कीड़े बीज को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचते हैं| आप इसकी उपचार के लिए दो से ढाई ग्राम थीरम प्रति किलो ग्राम बीज के हिसाब से उपचारित कर सकते हैं|
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राजमा की खेती कैसे करते है? राजमा की बुवाई से लेकर कटाई से तक की सम्पूर्ण जानकारी
राजमा की बुवाई की सही विधि और तरीका
राजमा की बुवाई आपको सही तरीके से करना बहुत जरूरी होता है| इसकी बुवाई आपको लाइन में करनी चाहिए| आपको इसकी बुवाई करते समय आपको लाइन से लाइन की दूरी 30 से 40 सेंटीमीटर रखनी चाहिए तथा पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर रखनी चाहिए| राजमा की बुवाई के बाद इसके अंकुरण में लगभग 20 से 25 दिन लग जाता है क्योंकि यह थोड़ा कठोर होता है| एसएसपी राजमा की बुवाई सीडड्रिल मशीन से करसकते हैं|
राजमा की खेती में खाद और उर्वरक
राजमा की खेती में आपको खाद और उर्वरक डालना भी बहुत जरूरी होता है| इसके लिए आप राजमा की खेतों में गोबर की सड़ी हुई खाद और कंपोस्ट को भी मिला सकते हैं| आपको रासायनिक खादों से बचना चाहिए| यदि आप रासायनिक खाद का प्रयोग करना चाहते हैं तो आपको 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फास्फोरस और 20 किलोग्राम प्रोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से खेतों में जुताई के समय छिड़काव करना चाहिए|
राजमा की खेती में सिंचाई
राजमा की खेती में सिंचाई करने की भी जरूरत होती है| राजमा की खेती में आपको कम से कम 2 से तीन बार सिंचाई करनी होती है| पहली सिंचाई आप बुवाई के चार सप्ताह बाद कर देनी चाहिए| इसके बाद आप 10 से 15 दिन के अंतराल पर राजमा के फलियों के बनने और पकने तक सिंचाई कर सकते हैं| सिंचाई करते समय यह ध्यान रखें की खेत में पानी ना रुके नहीं तो फसल खराब हो सकती है|
राजमा की खेती में खरपतवार नियंत्रण
राजमा की खेती में खरपतवार का नियंत्रण करना भी जरूरी होता है| आपको राजमा की खेती में समय पर खरपतवार के नियन्त्रण के लिए निराई गुड़ाई करते रहना चाहिए| जिससे कि इसके अंदर कीड़े का प्रकोप कम हो और फसल की पैदावार अच्छी हो|
राजमा की खेती में किट का रोकथाम
राजमा की खेती में कई प्रकार के कीट लगते हैं जिसमें से सफेद मक्खी, थ्रिप्स मुख्य रूप से लगते हैं| इसकी रोकथाम करना जरूरी होता है| इसके लिए आप नीम की तेल को पानी में मिलाकर स्प्रे कर सकते हैं जिससे सभी प्रकार के कट मर जाते हैं|
राजमा की कटाई
राजमा की कटाई समय पर करनी चाहिए राजमा की बुवाई से 120 से 130 दिन के भीतर आपको राजमा की कटाई कर लेनी चाहिए नहीं तो राजमा के खेत में सभी फलियां खेत में ही गिर जाएगी| इसकी कटाई के बाद आप इसे 3 से 4 दिन तक धूप में सुखा सकते हैं और इसके बाद से इसके बीज को आप अलग कर सकते हैं|
राजमा की पैदावार
यदि राजमा की अच्छे से देख रेख की जाए तो बहुत ही अच्छी पैदावार होती है| आमतौर पर इसकी पैदावार 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से होती है| आपको राजमा की अच्छी पैदावार के लिए अच्छे किस्म का बीज का चुनाव करना चाहिए तथा अच्छे से देखरेख करना चाहिए|
निष्कर्ष
Rajma ki Kheti करना किसानों के लिए लाभदायक हो सकता है क्योंकि यह बहुत ही कम देखरेख और कम लगत में अच्छा मुनाफा देने वाली फसल है| इसकी खेती करके किसान अच्छा लाभ कमा सकते हैं|
FAQ
Q1-राजमा की फसल कितने दिन में तैयार हो जाती है?
उत्तर-आमतौर पर राजमा की फसल 100 से 130 दिनों के भीतर पक कर तैयार हो जाती है|
Q2-राजमा की बुवाई के लिए कैसी मिट्टी होनी चाहिए?
उत्तर-राजमा की बुवाई के लिए दोमट मिट्टी या बलुई दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है|