Jaivik Kheti: जैविक खेती का भारत में आजकल बहुत चर्चा है| भारत के किसान जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए खेती कर भी रहे हैं| इसके अलावा भारत सरकार भी जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं भी शुरू कर रही है| जिससे किसान जैविक खेती की और किस अग्रसर हो सके| जैविक खेती मुख्य रूप से ऐसी खेती है जिसे केमिकल फ्री जीवांशयुक्त खेती कह सकते हैं और केमिकल वाले खाद का खेती में प्रयोग न करना जैविक खाद का प्रयोग करना जैविक खेती कहलाता है|
जैविक खेती क्या है?(Jaivik kheti kya hai)
जैविक खेती में मुख्य रूप से फसलों के अवशेष तथा पशुओं के गोबर का खाद का उपयोग किया जाता है| जिससे कि जमीन के अंदर पोषक तत्वों की प्रचुरता बनी रहे और उस जमीन में जो भी फसल की बुवाई की जाए उससे पैदा होने वाले फसल बहुत ही अच्छे हैं| जिससे हमारे शरीर को कोई नुकसान न पहुंच पाए|
भारत के बहुत किसान आज जैविक खेती को अपना रहे हैं| जैविक खेती में मुख्य रूप से प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल किया जाता है जिससे की मिट्टी की उर्वरता बनी रहे और खेती को किसान लंबे समय तक कर पाए| सबसे खास बात यह है कि जैविक खेती में लागत बहुत ही कम आती है जिससे किसानों को फायदा होता है और उनकी लागत घटती है और आय बढ़ती है|
जैविक खेती का महत्व और उद्देश्य(Jaivik Kheti ka Mahatva)
भारत में जैविक खेती का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचा खेती करना और अधिक पैदावार प्राप्त करना है| इसके साथ ही मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को भी बनाए रखना है| इन सब के अलावा यह भी सुनिश्चित करना कि जो भी फसले जमीन के अंदर से निकल रही है वह सभी केमिकल फ्री हो| इसके अलावा भारत की किसानों की आय को बढ़ाना और लागत को कम करने का लक्ष्य रखा गया है|
जैविक खेती के लाभ(Jaivik kheti ke Labh)
भारत में जैविक खेती के मुख्य कुछ फायदे हैं जिससे किसानों को लाभ मिलता है और किसान इस खेती को अपना रहे हैं| इसकी जानकारी निचे दी गई है|
- जैविक खेती करने से किसान को लागत बहुत कम लगाना पड़ता है|
- जैविक खेती करने से किसानों की आय बढ़ती है और लागत कम होती है|
- जैविक खेती करने से किसान कृषि चक्र का पालन करते हैं और इससे खेतों में कीट और रोग का प्रकोप भी कम होता है|
- जैविक खेती करने से रासायनिक खाद अन्य प्रकार की केमिकल युक्त उर्वरकों की आयत में कमी होती है|
- जैविक खेती करने से रोजगार के खुलेंगे|
- जैविक खेती करने से हमारे पर्यावरण को बहुत ही कम नुकसान पहुंचता है|
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जैविक खेती कैसे करें?(Jaivik Kheti Kaise Karen)
जैविक खेती करने के लिए खेत की तैयारी
जैविक खेती करने के लिए खेत की तैयारी करना बहुत ही जरूरी होता है| इस खेती में मुख्य रूप से उपयोग होने वाला चीज है वह है गोबर की खाद| इसलिए जब भी किसान जैविक खेती की तैयार करें तो सबसे पहले उन्हें गोबर की खाद को मिट्टी में जुताई के समय मिला सकते हैं|
खेत की जुताई के लिए किस सबसे पहले दो से तीन बार गहरी जुताई करके उसमे पाटा लगाकर समतल कर लें और उस पर गोबर की सड़ी हुई खाद को बिखेर दे और फिर जुताई करके पाटा लगाकर समतल कर ले| इसके अलावा किसान गोबर की खाद में वर्मी कंपोस्ट भी मिलाकर खेतों में फैला सकते हैं|
जैविक खेती में खरपतवार का नियंत्रण
जैविक खेती में खरपतवार के नियंत्रण करना भी बहुत ही जरूरी होता है| जिसके लिए किसान भाई खेत में निराई गुड़ाई कर सकते हैं| किसान निराई बुराई करके खेत से सभी खरपतवारों को बाहर निकाल सकते हैं|
जैविक खेती में किट और रोग का नियंत्रण
जैविक खेती में कीट और रोगों का नियंत्रण करना भी बहुत जरूरी होता है| इसके लिए किसान भाई खेत में किट के नियत्रंण के लिए नीम की पत्तियां का रस निकालकर उसे पानी में मिलाकर इसका छिडकाव किसान भाई के खेत के फसलों के ऊपर कर सकते हैं|
इसके अलावा नीम के तेल का भी उपयोग किसान भाई खेत में किट के लिए नियंत्रण के लिए कर सकते हैं| इस प्रकार किसान खेत में किट नियंत्रण कर सकते हैं|
गोमूत्र का उपयोग:
जैविक खेती में किट का नियंत्रण करने के लिए किसान गोमूत्र का उपयोग कर सकते हैं| इसके लिए किसान 12 से 15 मिली मीटर गोमूत्र का को प्रति लीटर पानी में मिलाकर फसलों के ऊपर स्प्रे हर 15 या 10 दिन के बाद अंतराल पर कर सकते हैं| इससे कीटों और रोगों के नियंत्रण में आसानी होती है और उनका प्रकोप बहुत ही कम हो जाता है|
बेशरम की पत्तियों का घोल
किसान बेशरम की पत्तियों का घोल का भी अपने फसल पर कर सकते हैं| इसके लिए किसान 10 से 12 किलो पत्तियां लेकर उसे 200 लीटर पानी में चार दिन तो भीगो कर रखें| इसके बाद से उस पानी का स्प्रे किसान एक एकड़ फसल में कीटों के नियंत्रण के लिए कर सकते हैं|
ट्राईकोडर्मा:
किसान फफूंद जनित रोगों के नियंत्रण के लिए ट्राइकोडर्मा का उपयोग कर सकते हैं| इसका उपयोग मिट्टी के अंदर करना होता है| इसके अलावा बीज के उपचार में भी इसका उपयोग कर सकते हैं| मिट्टी में ट्राइकोडर्मा का उपयोग करने के लिए किसान एक किलो ट्राइकोडर्मा को 100 किलो अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद में मिलाकर खेत में फफूंद जनित रोग से बचाव के लिए फसलों में कर सकते हैं|
जैविक खेती के लिए भारत में चलाई जा रही है सरकारी योजनाएं
जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार विभिन्न प्रकार की योजनाएं चलाई चल रही है| जिससे कि भारत में जैविक खेती को और अधिक बढ़ावा दिया जा सके और किसान इस खेती को अपना सके जिसकी जानकारी नीचे दी गई है|
- परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY)
- मृदा स्वास्थ्य के लिए पूंजीगत निवेश सब्सिडी योजना
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन ( NFSM)
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन ( NFSM)
- मिशन ऑर्गेनिक और वैल्यू चेन डेवलपमेंट (MOVCDNER)
जैविक खेती में उपयोग होने वाले खाद
- मुर्गी का खाद
- गाय के और भैंस के सड़ी हुई गोबर की खाद
- वर्मी कंपोस्ट खाद
- हरी खाद
- जैव उर्वरक (कल्चर)
- बायोगैस स्लरी
- नाडेप
जैविक खेती में उपयोग किए जाने वाले किट और रोग नियन्त्रण वाले खाद
जैविक खेती में किट और रोगों के नियंत्रण के लिए जैविक खेती में कुछ दवाइयां का उपयोग किया जाता है| जिसकी लिस्ट नीचे दी गई है|
- नीम का तेल
- नीम की पत्तियों का रस
- लकड़ी की राख
- मट्ठा
- गोमूत्र
- नीम और करंज की खाली
निष्कर्ष
जैविक खेती भारत में तेजी से उभरती हुई खेती है जिसे किसान बड़े पैमाने पर अपना रहे हैं और अपनी आय को बढ़ा रहे हैं और लागत को घटा रहे हैं| यदि जैविक खेती(Jaivik Kheti) को किसान बढ़ावा देते हैं और अपनाते हैं तो इससे उनकी लागत कम होगी और इनकम भी बढ़ेगी| इसके अलावा पर्यावरण का भी नुकसान बहुत कम होगा|