Genhu ki Katai ke Baad Kheti: मार्च महीने के अंत में और अप्रैल महीने की शुरुआत में गेहूं की कटाई होने लगती है| उसके बाद किसान धान की बुवाई से पहले खेत को ऐसे ही छोड़ देते हैं| अगर किसान चाहे तो उसमें कुछ फसले लगाकर अच्छी कमाई कर सकते हैं| सब्जियों की खेती में बहुत ही कम समय और कब लागत में अच्छा मुनाफा मिल सकता है और अतिरिक्त इनकम हो सकती है|
मार्च में वैसे कई प्रकार की सब्जियां उगाई जाती हैं| गर्मियों में सबसे अधिक उगाई जाने वाली सब्जियों में भिंडी, खीरा, तोरई, लौकी शामिल है जिन्हें किसान गर्मियों के सीजन में मार्च के बाद उगा सकते हैं| यदि आप भी अपनी दूसरी फसल की बुवाई के पहले कुछ अतिरिक्त इनकम कमाना चाहते हैं तो आपको मार्च में गेहूं की कटाई करने के बाद नीचे बताई जा रही सब्जियां की खेती करके लाभ कमा सकते हैं|
गेहूं की कटाई के बाद सब्जियों की खेती की लिस्ट(Genhu ki Katai ke Baad Kheti)
गेहूं की कटाई करने के बाद बीच में 3 महीने का समय बचता है जब धान की खेती करना शुरू करते हैं| इसी बिच नीचे बताई जा रही सब्जियों की खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं| यह सभी सब्जियां 30 से 45 दिन में फल देना शुरू कर देती हैं| इसके बाद किसान आराम से एक महीने तक इसकी तुड़ाई कर सकते हैं और इसे मार्केट में बेच सकते हैं|
खास बात यह है कि इन सभी सब्जियां मे किसी भी प्रकार की ज्यादा लागत की जरूरत नहीं पड़ती है| बहुत ही कम लागत में इस सभी सब्जियां अच्छा पैदावार देती हैं| जिससे किसानों को अधिक लाभ होता है|
नीचे सभी सब्जियों की लिस्ट दी गई है जिसे आप मार्च में गेहूं की कटाई के बाद बुवाई कर सकते हैं
भिंडी
भिंडी गर्मियों में उगाई जाने वाली सबसे प्रमुख सब्जियों में से एक है| जिसकी की खेती किसान भाई मार्च महीने के अंत में गेहूं की कटाई करने के बाद कर सकते हैं| यह 35 से 40 दिन के बाद फल देना शुरू कर देता है| इसके बाद किसान भिंडी की तुड़ाई लगातार डेढ़ महीने तक आराम से कर सकते है और उसे बेचकर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं|
भिंडी में ज्यादा किसानों को लागत लगाने की भी जरूरत नहीं पड़ती है| भिंडी की खेती अगर सही समय से की जाए तो इससे ज्यादा दिन तक फल निकालते रहते हैं और किसान बेच सकते हैं| भिंडी की बुवाई करते समय किसानों को यह ध्यान रखना चाहिए कि उन्हें कतारों में भिंडी की बुवाई करनी चाहिए जिससे की भिंडी की खेती में देखभाल आसानी से किया जा सके और खरपतवार नियंत्रण भी आसानी से किया जा सके|
भिंडी की बुवाई करने से पहले किसानों को खेत की अच्छे जुताई करके उसमें गोबर की खाद सड़ी हुई अच्छे से फैला देना चाहिए| जिससे की मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है और भिंडी की पैदावार अच्छी होती है|
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खीरा
खीरा की खेती किसान भाई मार्च महीने के बाद गेहूं की कटाई करने के बाद कर सकते हैं| खीरे की रोपाई के 35 से 45 दिन के बाद खीरे की तुड़ाई शुरू हो जाती है| इसके बाद किसान इससे आराम से डेढ़ से 2 महीने तक खीरे की तुड़ाई कर सकता है और इसे मार्केट में बेच सकता है| उस समय खीरे की रेट भी अच्छा रहता है जिससे किसानों को अधिक लाभ भी मिलता है|
खास बात यह है कि खीरे की खेती में भी किसानों को ज्यादा लागत लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है| बस इसमें किसानों को सिंचाई का ध्यान रखना होता है| सिंचाई समय-समय पर करते रहना पड़ता है| खीरे की बुवाई करते समय भी किसानों को इसकी बुवाई कतारों में ही करनी चाहिए| जिससे खीरे की खेती खरपतवार का नियंत्रण आसानी से किया जा सके|
इसके साथ ही इसकी बुवाई से पहले खेत की जुताई करते समय गोबर की अच्छी सड़ी हुई खाद भी डालना चाहिए| जिससे कि जमीन के अंदर पोषक तत्वों की कमी ना हो और खीरे का उत्पादन अच्छा हो सके|
लौकी
किसान भाई गेहूं की कटाई करने के बाद लौकी की खेती भी कर सकते हैं| इसमें भी 40 से 45 दिन की बाद फल निकलना शुरू हो जाता है और किसान इसे मार्केट में अच्छे रेट पर उस समय बेच सकते हैं| लौकी की खेती में भी किसानों को बहुत ज्यादा लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है| इसमें भी केवल सिंचाई का खास ध्यान रखना होता होता है और इसकी पैदावार अच्छी होती है|
लौकी की बुवाई करते समय किसानों को इसकी बुवाई लाइन में करनी चाहिए जिससे कि इसके अंदर खरपतवार और सिंचाई का नियंत्रण आसानी से किया जा सके| खेत की जुताई खेत बुवाई करने से पहले किसानों को की सड़ी हुई गोबर की खाद डालनी चाहिए| उसके बाद से जूताई करके तब लौकी की बुवाई करनी चाहिए जिससे कि लौकी की पैदावार अधिक हो सके|
तोरई
किसान भाई गेहूं की कटाई करने के बाद तुरई की भी बुवाई कर सकते हैं| यह बहुत ही कम लागत वाली फसल है| जिसमें किसानों को ज्यादा लागत लगाने की जरूरत नहीं पड़ती और पैदावार भी अधिक होती है| तोरई में भी किसानों को सिंचाई का खास ध्यान रखना होता है| इसमें खाद की जरूरत नहीं होती है| किसानों को तोरई की बुवाई करने से पहले खेतों में गोबर की खाद डालनी चाहिए और उसके बाद से जुताई कर देनी चाहिए| जिससे की जमीन के अंदर पोषक तत्व की मात्रा अधिक रहे और तोरई की पैदावार भी अधिक हो पाए|
पालक
किसान भाई गेहूं की कटाई करने के बाद पालक की खेती कर सकते हैं| पालक की खेती में किसानों को ज्यादा लागत लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है और यह अधिक पैदावार भी देता है| किसानों को पालक की खेती में भी सिंचाई करने की खास ध्यान रखना पड़ता है| इसका गर्मी के महीने मे रेट भी अच्छा मिलता है जिसे किसान मार्केट में बेचकर अधिक आमदनी कमा सकते हैं|
किसानों को पालक की खेती करते समय जब इसकी बुवाई की जाए तो उसे समय खेतों में जैविक खाद या फिर गोबर की सड़ी हुई खाद को खेतों में फैला कर उसके बाद से जुताई करना चाहिए| जिससे की जमीन के अंदर हो पोषक तत्व की कमी न होने पाए और पालक की पैदावार अच्छी हो सके|
सारांश
किसान भाई यदि गेहूं की कटाई बाद सब्जियों की खेती (Genhu ki Katai ke Baad Kheti)करते हैं तो उन्हें अधिक लाभ मिलता है और एक्स्ट्रा इनकम भी हो जाता है| खास बात यह है कि किसानों को ज्यादा लागत लगाने की भी जरूरत नहीं पड़ती और कम ही दिनों में अच्छा मुनाफा कमा लेते हैं| इसके बाद वह दूसरी फसलों की बुवाई कर सकते हैं|