Moong ki Kheti ki Jankari: मूंग भारत एक मुख्य दलहनी फसल है जो कि भारत में सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली फसलों में से एक है| भारत में मूंग की दाल ज्यादातर लोगों को पसंद आती है और यह प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत भी है| मूंग का प्रमुख मूल स्थान भारतीय ही है| मूंग के दाने में लगभग 24 से 25% प्रोटीन होता है तथा 60% कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है| मूंग की खेती आमतौर पर गर्मियों के दिनों में की जाती है| मूंग की खेती अन्य फसलों के बाद जैसे कि सरसों जाना मटर गेहूं इत्यादि फसलों की कटाई के बाद इसकी खेती की जाती है|
यदि आप एक किसान है और मूंग की खेती करके अच्छा पैसा कमाना चाहते हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए बहुत ही मदद करने वाला है| आप इस आर्टिकल में जानेंगे कि मूंग की खेती कैसे करें? मूंग की खेती का समय क्या होता है? मूंग की खेती में कौन सी खाद डालनी चाहिए? इसके साथ यह भी जानेंगे कि मूंग की खेती के लिए मूंग की टॉप वैरायटी कौन-कौन सी हैं? मूंग की फसल में कितना उत्पादन होता है| तो चलिए जानते हैं मूंग की खेती के बारे में सबकुछ|
मूंग की खेती कब और कैसे करे?(Moong ki Kheti kab aur kaise karen)
चुकी मूंग एक दलहनी फसल है और इसका मार्केट में रेट भी अच्छा मिलता है| इसलिए यदि किसान भाई कम समय में पैसा कमाना चाहते हैं तो मूंग की खेती कर सकते हैं| जिससे वे बहुत ही कम समय में अच्छा लाभ कमा सकते हैं| मूंग की खेती से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी नीचे दी जा रही है जिसे आप पढ़कर अपनी मूंग की खेती कर सकते हैं|
मूंग की खेती के लिए अच्छा मौसम और जलवायु(Moong ki kheti kab Karen)
मूंग की खेती मुख्य रूप से हर प्रकार की के मौसम में की जा सकती है| खरीफ ऋतु में इसकी खेती सबसे ज्यादा उत्तर भारत में की जाती है| वहीं ग्रीष्म ऋतु में दक्षिण भारत में इसकी खेती की जाती है| मूंग की खेती के लिए गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है| इसके अलावा जहां पर अधिक बारिश होती है वहां पर इसकी खेती नहीं की जा सकती है क्योंकि अधिक वर्षा होने से इसके बीज सड़ जाते हैं| इसके साथ ही इसकी फल और दाने भी सड़ जाते हैं| इसके अंकुरण के लिए 20 सेंटीग्रेड से लेकर 40 सेंटीग्रेड का तापमान अच्छा रहता है|
मूंग की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
मूंग की खेती के लिए मुख्य रूप से दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है| इसके अलावा बलुई दोमट मिट्टी भी की खेती के लिए अच्छी होती है| आपको ऐसे खेत में इसकी खेती करनी चाहिए जहाँ पर जल निकास की व्यवस्था अच्छी हो क्योंकि यदि खेतों के अंदर पानी रुकेगा तो मूंग की फसल के सभी दाने सड़ सकते हैं| इसलिए आपको हमेशा याद ध्यान रखना चाहिए कि खेत से पानी निकालने की सुविधा अच्छी हो| इसकी खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 7 से 7.5 के बीच में होना चाहिए|
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मूंग की टॉप वैरायटी(Moong ki Top Varities)
Moong ki Kheti के लिए यह भी ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि मूंग की जो भी किस्मे आप ले वह अच्छी हो जिससे इसकी पैदावार अच्छी हो| यदि मूंग की वैरायटी अच्छी नहीं होगी तो मूंग की पैदावार बहुत ही कम होगी और किसान भाइयों को नुकसान भी हो सकता है| इसलिए हमेशा की उन्नत वैरायटी का ही चुनाव करना चाहिए| मूंग की सभी उन्नत वैरायटी की लिस्ट नीचे दी गई है जिसे आप अपने खेतों में लगा सकते हैं|
- दुर्गा पीडीएम-139 (सम्राट) मूंग बीज
मूंग की यह वेराइटी बहुत ही अच्छी है जिसे आप अपने खेतों में लगा सकते है| इस मूंग की प्रति एकड़ 8 से 9 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है| इसके फलों का रंग चमक चमकदार हरा होता है तथा इसकी बुवाई ग्रीष्म और खरीफ ऋतु में की जा सकती है| मूंग की यह वैरायटी बुवाई से 55 से 60 दिनों बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है|
- एसआरपीएम-26
मूंग की यह वैरायटी श्रीराम सीड्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकसित किया गया है| इसके पौधे की ऊंचाई 70 से 80 सेंटीमीटर के बीच होती है तथा इसके एक फली में 12 से 14 दाने पाए जाते हैं| यह मूंग की फसल ग्रीष्म ऋतु में 62 से 65 दिन में पक जाती है तथा खरीफ मे 70 से 75 दिन के अंदर पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है| मूंग की इस वैरायटी के दानो का रंग हल्का हरा और चमकदार तथा मोटा होता है|
- सुनैना
- मालवीय ज्योति
- मुंग जनप्रिया
- सम्राट
- पंत मूंग2
- पुसा विशाल
- नरेंद्र मूंग 1
मूंग की बुवाई के लिए बीज की मात्रा
खरीफ मौसम में मूंग की बुवाई के लिए बीज की मात्रा 12 से 15 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर जरूरत पड़ती है तथा बुवाई करते समय इसकी कतारो से कतारो की दूरी 30 सेमी होनी चाहिए| वही अगर आप इसकी खेती रवि के मौसम में करते हैं तो आपको इसके बीज की दर 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रखनी चाहिए तथा बुवाई करते समय लाइन से लाइन की दूरी 20 से 25 सेंटीमीटर होना चाहिए| यदि बात करें प्रति एकड़ मूंग के बीज की मात्रा की तो आपको खरीफ के मौसम में 8 से 9 किलोग्राम बीज की बुवाई करनी चाहिए|
मूंग की बीज का उपचार
खेत में मूंग की बुवाई से पहले आपको बीज का उपचार कर लेना चाहिए| जिसके लिए आपको Captan तीन ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचार करना चाहिए तथा कार्बेंडाजिम 5 से 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीच के हिसाब से उपचारित करना चाहिए|
मूंग की खेती का समय(Moong ki Kheti ka Samay)
मूंग की बुवाई का सबसे अच्छा समय 15 मार्च से लेकर 15 अप्रैल के बीच होता है| आप जब भी बुवाई करें तो समय के अनुसार ही बुवाई करें जिससे मूंग की फसल की पैदावार अच्छी हो| यदि आप समय निकल जाने के बाद इसकी बुवाई करते हैं तो अधिक तापमान के कारण इसमें फलियां बहुत ही कम बनती हैं जिससे मूंग की खेती में उपज भी कम होती है|
मूंग की बुवाई की विधि
मूंग की बुवाई आप सीडड्रिल मशीन के द्वारा भी कर सकते हैं| जिसमें कतार से कतार की दूरी 30 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी रखनी चाहिए| इसके साथ ही बीज की गहराई 4 से 6 सेंटीमीटर होना चाहिए| इसके अलावा आप चाहे तो बिना ड्रिल सीडी ड्रिल मशीन के द्वारा भी छिड़काव की विधि से लाइन में इसकी बुवाई कर सकते हैं|
मूंग की खेती के लिए खेत की तैयारी
Moong ki Kheti के लिए भुरभुरी मिट्टी का होना जरूरी होता है| इसके लिए आप खेत को पहले दो से तीन बार जूताई जरूर कर ले| उसके बाद आप उस पर पाटा लगा कर समतल कर ले| समतल करने के बाद आप खेतों में 8 से 10 टन प्रति एकड़ की दर से गोबर की सड़ी हुई खाद को पूरे खेत में फैला दें और उसके बाद से दो बार अच्छे से जुताई करके खेत को पाटा लगाकर समतल कर ले| इस प्रकार खेत की तैयारी हो जाती है|
आप चाहे तो खेत में गोबर की खाद डालते समय उसमें नीम की पत्तियों को भी मिल सकते हैं| जिससे कीड़े खेत के अंदर ही मर जाते हैं और बीच का अंकुरण अच्छा होता है|
मूंग की खेती के लिए खाद एवं उर्वरक
मूंग की खेती के लिए आपको जैविक खाद का ही प्रयोग करना चाहिए| रासायनिक खादों से बचना चाहिए क्योंकि इसकी लागत ज्यादा होती है| अगर आप कम खर्चे में खेती करना चाहते हैं तो आपको खेतों में जैविक खाद ही डालना चाहिए जिससे आपकी कम खर्चे में खेती हो जाए और अच्छी पैदावार भी हो| अगर आप रासायनिक खाद डालना चाहते हैं तो आपको 20 किलोग्राम नाइट्रोजन 20 किलोग्राम पोटाश तथा 45 किलोग्राम फास्फोरस प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में छिड़काव करना चाहिए|
मूंग की खेती में सिंचाई
मूंग की खेती करने पर मूंग की सिंचाई भी बहुत जरूरी होती है| जिससे खेत में नमी बनी रहे और फसलों का विकास भी अच्छी हो और पैदावार भी अच्छी हो| मूंग की अंकुरण के 10 से 15 दिनों के बाद आप इसमें पहले सिंचाई कर सकते हैं| इसके बाद आप 10 से 15 दिनों के अंतराल पर मूंग की खेती में सिंचाई करते रहें जिससे इसमें फलों फूल बनने और पकने तक कोई भी दिक्कत ना हो|
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मूंग की खेती में खरपतवार का नियंत्रण
मूंग की खेती में खरपतवार का नियंत्रण भी बहुत जरूरी होता है| इसके लिए आपको समय-समय पर मूंग की खेती में निराई गुड़ाई करते रहना चाहिए| जिससे कि उस खेत से सभी खरपतवार निकल जाए और फसल की ग्रोथ अच्छे तरीके से हो| यदि खरपतवार मूंग की खेत में रहेगा तो मूंग की पैदावार कम होगी और उसमें कीड़े भी ज्यादा लगेंगे|
मूंग की खेती में कीट नियंत्रण
मूंग की खेती में कई प्रकार के किट भी लगते हैं जिसमें रस चूसने वाले कीड़े फली छेदक मुख्य रूप से शामिल है| जिससे के नियंत्रण के लिए आप नीम की तेल का स्प्रे करके इनसे छुटकारा पा सकते हैं|
मूंग की फसल की कटाई
मूंग की फसल की कटाई समय पर करना भी बहुत जरूरी होती है अन्यथा सभी फलियों के दाने खेत में ही झड़ जाते हैं| इसलिए जब फसल 85 प्रतिशत तक पक जाए तो आपको इसकी कटाई कर लेनी चाहिए|
निष्कर्ष
यदि आप बहुत ही कम समय में मूंग की खेती करके अच्छा पैसा कमाना चाहते हैं तो आपको इसकी खेती जरूर करनी चाहिए क्योंकि यह बहुत ही कम समय में अच्छी -अच्छी मुनाफा देने वाली फसल है| चूकी इसके बाजार में रेट भी अच्छे मिलते हैं जिससे आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं| आपने इस आर्टिकल में जान लिया है कि मूंग की खेती कैसे(Moong ki Kheti kaise hoti hai) होती है तथा मंकी खेती के लिए टॉप वैरायटी क्या है और मूंग की खेती में क्या खाद और उर्वरक डालना चाहिए|
यदि आपको मूंग की खेती या फिर किसी भी और खेती से संबंधित कोई भी प्रश्न है तो आप नीचे कमेंट में पूछ सकते हैं खेती और योजना से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी पाने के लिए आप फार्मर तक से जुड़ सकते हैं|