Tinda ki Kheti: किसान भाई टिंडा की खेती कैसे करें? जाने उन्नत तकनीक और बीज

Tinda ki Kheti ki Jankari: टिंडा भारत में खाई जाने वाली प्रमुख सब्जियों में से एक है जो कि पूरे भारत में उगाया जाता है| इसकी सब्जियां हर घर में चाहे गर्मी हो या बरसात हर मौसम में इसकी सब्जियां मिलती हैं और लोग इस टिंडा की सब्जी को खाना ज्यादा पसंद भी करते हैं| टिंडा को भारत में अलग-अलग जगह पर अलग-अलग नाम से भी जाना जाता है| टिंडे को  लौकी, घिया, गोल लौकी, भारतीय स्क्वैश के नाम से भी जाना जाता है|

WhatsApp Group Join Now
Instagram Group Join Now

Table of Contents

इस सब्जी की खेती उत्तर भारत में सबसे अधिक की जाती है और खासकर इसकी खेती गर्मियों के दिनों में सबसे अधिक की जाती है| टिंडे का मुख्य मूल स्थान भारत ही है| टिंडे की सब्जी में कई प्रकार के विटामिन और मिनरल्स पाए जाते हैं और यह विभिन्न बीमारियों में भी काम आता है| इस समय इसकी बुवाई का भी समय चल रहा है| यह एक बहुत ही कम लागत वाली फसल है| जिसमें आपको देखरेख की भी बहुत कम जरूरत पड़ती है और अच्छा मुनाफा भी किसान भाई कमा सकते हैं|

यदि आप भी टिंडा की खेती करके अच्छा पैसा कमाना चाहते हैं तो यह आर्टिकल आपकी हेल्प करेगा| आप इस लेख में जानेंगे कि टिंडा की खेती कैसे करें? टिंडा की खेती कब होती है? तथा टिंडा की सबसे अच्छी वैरायटी कौन सी है और टिंडा में कौन सी खाद डालने चाहिए| तो चलिए जानते हैं टिंडा की खेती के बारे में सभी जानकारी विस्तृत रूप से|

टिंडा की खेती कब और कैसे करे?(Tinda ki Kheti kab aur kaise karen)

टिंडा की बुवाई सबसे अधिक किसान फरवरी मार्च के महीने में तथा नवंबर के महीने में करते हैं| इस समय इसकी खेती करना आपके लिए बहुत लाभदायक हो सकता है| इसकी खेती में आपको बहुत ही कम लागत लगाना होगा और यह अच्छी उपज देता है| इसके इसकी खेती की सभी जानकारी नीचे दी जा रही है जिसे पढ़कर आप टिंडा की खेती की शुरुआत कर सकते हैं|

टिंडा की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मौसम

टिंडा की खेती के लिए सबसे अच्छी गर्म एवं आर्द्र जलवायु सर्वोत्तम होती है| ठंडी जलवायु टिंडा की खेती के लिए अच्छी नहीं मानी जाती है क्योंकि ठंडी के मौसम में टिंडा को पाला लग जाने का डर रहता है जिससे इसके पैदावार भी कम होती है| इसलिए इसकी खेती गर्मियों में सबसे अधिक किसान भाई करते हैं| इसके अलावा बरसात के मौसम में भी इसकी खेती आप कर सकते हैं लेकिन उसे समय इसमें किट और रोग ज्यादा लगते हैं| इसकी सबसे अच्छा समय गर्मियों का महीना होता है और इस समय आपको इसकी खेती करनी चाहिए|

टिंडा की खेती के लिए सबसे अच्छी मिट्टी

टिंडा की खेती के लिए सबसे अच्छी मिट्टी दोमट मिट्टी तथा बलुई दोमट मिट्टी मानी जाती है| आपको इसकी खेती के लिए ऐसे मिट्टी का चुनाव करना चाहिए जिसका पीएच मान 6 से 7 के बिच हो| इसके अलावा टिंडा की खेती के लिए मिट्टी का चुनाव करते समय आपको यह भी ध्यान रखना चाहिए कि खेत के अंदर से पानी निकालने की व्यवस्था अच्छी हो क्योंकि अगर खेत से पानी नहीं निकलेगा तो इसकी फसल खराब हो सकती है तथा इसके फल सड़ सकते हैं| इसके अलावा आपको जीवांशयुक्त मिट्टी का भी चुनाव करना चाहिए जिससे कि इसकी पैदावार अच्छी हो|

Also read: किसान भाई करें Kheera ki Kheti होगी मोटी कमाई! जानिए आसान टिप्स!

टिंडा की खेती के लिए उचित समय(Tinda ki kheti kab ki jati hai)

टिंडा की खेती के मुख्य रूप से तीन बार की जाती है| इसकी पहले खेती फरवरी महीने से लेकर मार्च महीने और दूसरी खेती जून से जुलाई में की जाती है तथा इसकी तीसरी बुवाई नवंबर के महीने में की जाती है| नवंबर में टिंडा की बुवाई से ठंडी के मौसम में इसका फल निकलता है| उस समय इसका रेट अच्छी होती है लेकिन इसका पैदावार बहुत कम होता है| आप चाहे तो उस समय भी इसकी खेती कर सकते हैं लेकिन अगर आपको बहुत ही कम लागत में इसकी खेती करनी है तो आपको फरवरी और मार्च के महीने में ही इसकी खेती करनी चाहिए जिससे की पैदावार भी अच्छी हो और लागत भी कम लगे|

टिंडा की उन्नत वैरायटी(Tinda ki Top Variety)

टिंडा की खेती के लिए टिंडा की बीज मार्केट में कई प्रकार के वैरायटी आते हैं| आपको हमेशा इसकी उन्नत किस्मों का ही चुनाव करना चाहिए जिससे की पैदावार अच्छी हो| टिंडा की उन्नत वैरायटी की लिस्ट नीचे दी जा रही है जैसे आप अपने खेत में लगा सकते हैं|

  • टिंडा एस 48
  • पंजाब टिंडा-1
  • अन्नामलाई टिंडा
  • मायको टिंडा
  • हिसार चयन 1
  • बीकानेरी ग्रीन
  • स्वाती
  • एस 22

1.महीको टिंडा बीज

टिंडा की यह वैरायटी खरीफ और गर्मी के सीजन में लगाने के लिए सबसे अच्छी है| इसकी बुवाई के समय आपको पंक्ति से पंक्ति की दूरी 4 फीट तथा पौधे से पौधे की दूरी 1 फीट रखनी चाहिए| यह अधिक उत्पादन देने वाली किस्म है| इस टिंडा के फलों का रंग हरा तथा यह बुवाई के 45 से 50 दिन के बाद फल देना शुरू कर देते हैं| इसके फलों का वजन 80 से 85 ग्राम के आसपास होता है तथा इसके फलों का आकार गोल होता है|

2.Chitra-BSS-695

टिंडा के इस वैरायटी के फलों का आकार मध्य गोल होता है तथा इसके फलों का रंग हरा होता है| इस टिंडे की फलों का वजन 80 से 100 ग्राम के बीच होता है| इस टिंडे की बुवाई के 50 से 55 दिन के बाद इसकी फल की तुड़ाई किसान भाई कर सकते हैं| यह भी एक अच्छी उपज देने वाली हाइब्रिड किस्म है जिसे आप अपने खेतो में लगा सकते हैं|

3.आइरिस अनमोल टिंडा बीज

टिंडा की यह वैरायटी भी खेतों में लगाने के लिए बहुत अच्छी है| इसके फलों का वजन 150 से 150 ग्राम के बीच होता है तथा इसके फलों का रंग हरा होता है| यदि बात करें इसके फलों का आकार तो इसका आकार गोल होता है| इसके अलावा इसकी पहली तुड़ाई आप इसके रोपाई के 50 से 55 से 60 दिनों के बाद कर सकते हैं|

4.इंडो यूएस 9999 टिंडा बीज

यह भी टिंडा की किस्म बहुत ही अच्छी है इसके फलों का आकार गोल होता है तथा इसके फलों का रंग हरा होता है| इसके अलावा इसके फलों का वजन 150 से 180 ग्राम के बिच होता है| यदि बात करें इसके पहली तुड़ाई की तो यह बुवाई के 50 से 60 दिन के बाद इसकी तुड़ाई किसान भाई कर सकते है|

5.Iris Hybrid F1 Anmol Apple Guard (Tinda) Seed

इस वैरायटी का आकार गोल होता है तथा इसके फलों का रंग हरा होता है| इसके फलों का वजन 80 से 150 ग्राम होता है| यदि बात करें इसकी चौड़ाई की तो यह रोपाई के 50 से 60 दिन के बाद यह पहले तुड़ाई के लिए तैयार हो जाता है| आपको इसकी बुवाई करते समय पंक्ति से पंक्ति की दूरी 6 फीट रखनी चाहिए|

टिंडा की खेत की तैयारी

टिंडा की बुवाई से पहले इसके खेत की तैयारी करना भी बहुत जरूरी होता है| जिसके लिए आपको सबसे पहले खेत को कल्टीवेटर या फिर रोटावेटर से इसके जुताई दो से तीन बार कर देनी चाहिए| जिससे की मिट्टी भुरभुरी हो जाए| इसके बाद आपको खेत के ऊपर पाटा लगा कर समतल करने के बाद आप खेत में गोबर की सड़ी हुई खाद को वर्मी कंपोस्ट के साथ मिलकर डाल सकते हैं| इसके बाद से फिर से खेत से कल्टीवेटर से जुताई करके पाटा लगाकर समतल कर लेना चाहिए| इस प्रकार टिंडा की खेती के लिए खेत तैयार हो जाती है| गोबर की खाद 8 से 10 टन प्रति एकड़ की दर से डाल सकते हैं|

टिंडा के बीज की मात्रा और उपचार

टिंडा के बीज का उपचार बुआइ के पहले उपचार कर लेना चाहिए| इसके लिए आपको एक बीघा खेत में डेढ़ किलो बीज की जरूरत पड़ती है| इसके लिए आप बीज को से 12 से 14 घंटे पहले भिगो कर पानी में रख दें| जिससे इसके अंकुरण भी अच्छी होती है| बीज को फंगस से बचाने के लिए आप कार्बेनडाजिम 2 ग्राम या थीरम 2.5 ग्राम प्रति किलो बीज के हिसाब से बीज में मिलाकर उपचारित कर लेना चाहिए|

Also read: किसान भाई करें Kaddu ki Kheti: हर साल लाखों कमाएं: जानिए उन्नत तरीके और टिप्स!

टिंडा की कैसे करें (Tinda ki kheti Kaise kare) खाद से लेकर बुवाई और तुड़ाई तक जानकारी

टिंडा की खेती में खाद और उर्वरक

टिंडे की फसल में ज्यादा खाद और उर्वरक की जरूरत नहीं पड़ती है| आपको इसके खेत में रासायनिक खाद को डालने से बचना चाहिए क्योंकि इससे आपकी लागत बढ़ती है| आप इसमें सड़ी हुई गोबर की खाद ही डालें या फिर जैविक खाद डालें| लेकिन अगर आप इसमें रासायनिक खाद डालना चाहते हैं तो आपको 40 किलो नाइट्रोजन, 20 किलो फास्फोरस तथा 20 किलो पोटाश प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में जुताई के समय डाल देना चाहिए|

टिंडे की बुवाई का तरीका

टिंडे की बुवाई क्यारियों में की जाती है| इसकी बुवाई के लिए आपको 1.5 से 2 मीटर चौड़ी तथा 15 सेंटीमीटर ऊंची क्यारियाँ बनानी चाहिए| इसके अलावा दो क्यारियों के बीच में आपको एक मीटर चौड़ी नाली भी छोड़ देना चाहिए| टिंडे के बीज की बुवाई 1.5 से 2 सेंटीमीटर गहरी करनी चाहिए| इससे अधिक गहरी बुवाई नहीं करनी चाहिए|

टिंडे की खेती में सिचाई व्यवस्था

टिंडे की खेती में सिंचाई की भी बहुत जरूरत होती है| यदि आप गर्मियों के समय में इसकी खेती करते हैं तो इसमें बार-बार सिंचाई की जरूरत पड़ती है| आपको 7 से 10 दिन के अंतराल पर टिंडे की खेती में सिंचाई करते रहना चाहिए जिससे इसकी पैदावार और ग्रोथ अच्छी होती है|

टिंडे की खेती में खरपतवार का नियंत्रण

टिंडे की फसल में खरपतवार भी बहुत सरे उग जाते हैं जिसका नियंत्रण करना बहुत जरूरी होता है नही तो फसल की पैदावार कम होती है| खरपतवार के नियंत्रण के लिए आपको समय-समय पर टिंडे की खेती में निराई गुड़ाई कर देना चाहिए और खरपतवार को निकाल देना चाहिए जिससे इसकी वजह ग्रोथ अच्छी होती है|

टिंडे की तुड़ाई

टिंडे की सब्जी आमतौर पर बुवाई के 40 से 50 दिनों के बाद पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है| जब इसके फल मध्यम आकार के हो जाए तो आपको इसकी तुड़ाई कर लेनी चाहिए| इसके बाद आपको हर चार से पांच दिनों के बाद एक बार तोड़ाई जरूर करनी चाहिए नहीं तो इसके फल के अंदर भी ज्यादा बीज हो जाएंगे और मार्केट में इसकी कीमत बहुत कम मिलती है|

टिंडा की पैदावार बाजार में भाव

यदि टिंडे की खेती अच्छे से की जाए और वैज्ञानिक तरीके से खेती की जाए तो इसकी पैदावार भी बहुत अच्छी होती हैं| इसकी पैदावार एक हेक्टेयर में करीब 100 से 125 क्विंटल के बीच में होती है और मार्केट में इसका कीमत ₹20 से ₹40 किलो के बीच में रहता है|

निष्कर्ष

टिंडे की खेती करना किसानों के लिए मुनाफे का सौदा हो सकता है क्योंकि इसमें बहुत ही कम लागत और देखरेख की जरूरत पड़ती है| किसानो को टिंडे की खेती(Tinda ki Kheti) जरूर करनी चाहिए जिससे कम समय में अच्छा पैसा कमा सके| टिंडे की खेती के समय आपको उन्नत किस्म का बीज का ही चुनाव करना चाहिए जिससे की पैदावार अच्छी हो| खेती कृषि योजना और कृषि यंत्र से संबंधित सभी प्रकार की जानकारी के लिए आप कमेंट में अपना प्रश्न कोई भी पूछ सकते हैं|

Leave a Comment